विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) परिभाषित करता हैः स्वास्थ्य पूर्ण शारीरिक, मानसिक और समानजिक कल्याण की स्थिति है, न कि केवल बीमारी या दुर्बलता की अनुपस्थिति। डबल्यूएचओ कहता है कि ‘मानसिक स्वास्थ्य के बिना कोई स्वास्थ्य नहीं है।’
शारीरिक रूप से स्वस्थ कैसे रहें
शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए कुछ सामान्य बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। आजकल फास्ट लाइफस्टाइल जीने वाले लोगों को इन बातों के बारे में पता तो होता है परंतु समय के अभाव में इसे फॉलो नहीं कर पाते। फिर भी कुछ छोटी छोटी बातें हैं जिनके द्वारा स्वास्थ्य सुदृढ़ बनाया जा सकता है। आइए, इन छोटी छोटी बातों के बारे में जानेः-
नियमित शारीरिक जांच
यह सुनिश्चित करने के लिए कि शारीरिक क्रियाएं सुचारू रूप से चल रही है कि नहीं, वर्ष में एक बार शारीरिक जांच करवानी चाहिए। यदि शरीर में कोई बीमारी आती है तो कई बार शुरुआत के अंतराल में इसका पता नहीं चलता परंतु समय पर जांच होने से आने वाली बीमारी का संकेत मिल जाता है और सही समय पर उसका इलाज शुरु किया जा सकता है। महिलाओं को यदि स्तन या वृषण पर कुछ असामान्य लगे तो उसका स्व-परीक्षण कर लेना चाहिए।
पर्याप्त नींद लें
सर्व विद्यमान है कि नींद के दौरान हमारे शरीर में नये सेल्स का निर्माण होता है या यूं कहें कि थके हुए या डेमेज हुए सेल्स ऊर्जावान हो जाते हैं जिससे हमारा शरीर फिर से जीवंत हो जाता है और दूसरे दिन हम नयी ऊर्जा के साथ कार्य शुरु कर सकते हैं। पर्याप्त नींद प्रक्रिया चयापचय, मनोदशा, एकाग्रता, स्मृति, मोटर स्किल्स, स्ट्रेस होर्मोन्स और प्रतिरक्षा प्रणाली एवं हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। नींद शरीर को चंगा, मरम्मत और कायाकल्प करने की अनुमति देती है।
व्यायाम
फिट और स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम जरूरी है। फिट रहने के लिए रोजाना कुछ मिनट टहलना चाहिए या योगासन करना चाहिए। यह परिसंचरण और शरीर की जागरूकता में सुधार करता है और अवसाद से निपटने में मदद कर सकता है। कार्डियोवास्कुलर व्यायाम हृदय और फेफड़ों को मज़बूत करने में मदद करता है, स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग मांसपेशियों को मज़बूत करने में मदद करता है और स्ट्रेचिंग लचीलेपन को बढ़ाता है।
पौष्टिक भोजन
शरीर को स्वस्थ और फिट रखने के लिए प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन एवं मिनरल्स जैसे अनेक पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता होती है। ताज़े फल, ताज़ी और हरी सब्ज़ियां, साबुत एवं अंकुरित अनाज, सूखे मेवे का नियमित रूप से सेवन करना अति आवश्यक है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए फास्ट फूड जैसे कि बर्गर, पित्ज़ा, अत्यधिक एवं कृत्रिम मीठा पदार्थ और कार्बोनेटेड एवं एनर्जी ड्रिंक का सेवन टालना चाहिए। इसके अलावा तीन सफैद पदार्थ – शक्कर, मैदा और नमक का सेवन कम करना चाहिए।
नाश्ता अवश्य करें
जैसे कि प्राकृतिक चिकित्सक मानते हैं और सलाह देते हैं कि रात्रि भोजन सात बजे तक कर लेना चाहिए, ताकि खाना खाने और सोने के बीच कम से कम तीन-चार घंटे का समय हो। अर्थात रात्रि सात बजे से सुबह सात बजे तक एक तरह से उपवास ही रहता है। इसलिए अंदाजन आठ घंटे के उपवास के बाद पेट भरकर नाश्ता करने से रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखने और स्वस्थ वज़न बनाए रखने में सहायता मिलती है और इससे दिनभर में अधिक मात्रा में खाने की संभावना कम हो जाती है।
प्रचूर मात्रा में पानी आवश्यक
कहते हैं कि हमारे शरीर में 75 प्रतिशत पानी होता है। दिनभर में कम से कम 8 ग्लास पानी अवश्य पीना चाहिए। एक मान्यता यह भी है कि जब शरीर में पानी की मात्रा कम होती है तो प्यास लगती है और शरीर में ओक्सिजन का स्तर कम हो जाता है। पानी शरीर को हाइड्रेट रखने और शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। यह हमारे अंगों और पाचनतंत्र के लिए पाकृतिक क्लींजर का कार्य करता है। पानी त्वचा और मूत्र के माध्यम से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद करता है।
तनाव न लें
तनाव हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता। तनाव शरीर को नुकसान पहुंचाता है। तनाव हृदय की समस्याओं से लेकर पाचन समस्याओं तक असंख्य समस्याओं का कारक बन सकता है। नियमित रूप से व्यायाम, ध्यान, प्राणायाम करने से और प्रकृति के नज़दीक रहने से तनाव के हानिकारक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
महत्वपूर्ण यह भी है कि शारीरिक क्षमता से अधिक कार्य नहीं करना चाहिए, योग्य समय पर उचित आराम और मनोरंजन भी करते रहना चाहिए।
जहां शारीरिक स्वास्थ्य की बात आती है तो वहां मानसिक स्वास्थ्य की बात भी करनी आवश्यक है। यहां मानसिक स्वास्थ्य का मतलब ‘पागलपन’ नहीं है जैसे आम तौर पर लोग समझते हैं। क्योंकि, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य मूलभूत तौर पर एक दूसरे से जूड़ा हुआ होता है। मानसिक स्वास्थ्य और क्रोनिक फिजिकल कंडिशन्स के बीच गहरा संबंध है जो लोगों के जीवन की गुणवत्ता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं।
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंधः-
खराब मानसिक स्वास्थ्य क्रोनिक फिजिकल कंडिशन के लिए जोखिमभरा हो सकता है।
जो गंभीर मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित होते हैं उन्हें क्रोनिक फिजिकल कंडिशन का अनुभव करने का जोखिम होता है।
इसी तरह क्रोनिक फिजिकल कंडिशन होती है उन्हें खराब मानसिक स्वास्थ्य विकसित होने का खतरा होता है।
किसी भी बीमारी के या शारीरिक या मानसिक समस्या के रोकथाम के प्रमुख पहलुओं में शारीरिक गतिविधि बढ़ाना, पौष्टिक खाद्य पदार्थों तक पहुंच, पर्याप्त आय सुनिश्चित करना और सामाजिक समावेश और सामाजिक समर्थन को बढ़ावा देना शामिल है। यदि कोई शारीरिक और मानसिक कंडिशन्स के साथ जी रहे हों उनके मन और शरीर के बीच के संबंधों को समझना अति आवश्यक है।
भावनाओं का केवल हमारी मानसिक स्थिति पर ही नहीं बल्कि हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर भी भारी प्रभाव पड़ सकता है। हमारा मन और शरीर गहराई से जुड़े हुए हैं। हमारी भावनाएं कितनी प्रभावशाली है यह समझ जाएं तो उन्हें प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में सहायता मिल सकती है। प्रत्येक व्यक्ति की भावनाएं अलग होती हैं और उसका असर भी प्रत्येक व्यक्ति पर अलग अलग प्रकार से होता है। जैसे हमारे जीवन में जो घटना घटी वह किस प्रकार की थी, हमारा भूतकाल का अनुभव, हमारी वर्तमान मानसिक स्थिति और हमारी अपेक्षाएं, आदि।
Vrunda Manjeet
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