विभिन्न जड़ी-बूटियाँ अपने सुगन्धित या औषधीय गुणों के कारण स्वाद, सुगंध, दवा और भोजन के लिए इस्तेमाल होती हैं। व्यंजन संबंधी उपयोग आम तौर पर मसाले से जड़ी-बूटियों को अलग करता है। जड़ी-बूटियाँ, पौधे (ताजा या सूखे) के हरे पत्ते या फूलों वाले हिस्से को संदर्भित करती हैं, जबकि मसाले पौधे के अन्य भागों से (आमतौर पर सूखे) बने होते हैं, जिसमें बीज, छोटे फल, छाल और जड़ शामिल होते हैं।
जड़ी-बूटियों के अनेक औषधीय व आध्यात्मिक उपयोग हैं। “जड़ी बूटी” के सामान्य उपयोग पर पाक-संबंधी जड़ी-बूटियाँ और औषधीय जड़ी-बूटियाँ अलग हैं। आइए, कुछ जड़ी-बूटियों के बारे में विस्तार से जानें।
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दालचीनी :-
दालचीनी स्वाद में तीखी-मीठी होती है। यह ऊष्ण, दीपन, पाचक, मुत्रल, कफनाशक, स्तंभक गुणधर्मों वाली जड़ी-बूटी है। यह मन की बेचैनी कम करती है, यकृत के कार्य में सुधार लाती है और स्मरण शक्ति बढ़ाती है। और पढ़िए
दालचीनी के फायदे
पाचन विकार के लिए
जुकाम के लिये
स्त्रीरोग के लिए
खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए
अदरक :-
अदरक तीखी और स्वाद में उग्र, तथा उष्ण और तेज गुणों वाली है। अदरक पाचक, सारक,अग्निदीपक, वेदनाशामक, कामोत्तेजक और स्वादिष्ट होती है। वायु और कफ का नाश करती है। अदरक का उष्मांक मूल्य 67 है। और पढ़िए
अदरक के फायदे
पाचन विकार के लिए
सांस विकार के लिए
स्त्री रोग के लिए
वेदना शामक
करी पत्ता :-
करी पत्ता सुगंधित और बहुमुखी छोटे पत्ते होते हैं जो कि एक साधारण से व्यंजन जैसे उपमा या पोहे को भी अत्यंत स्वादिष्ट बना सकते हैं। कढ़ी पत्ते अपने विशिष्ट स्वाद और रूप से भोजन में विशेष प्रभाव डालते हैं और भारतीय भोजन का एक प्रमुख हिस्सा हैं। करी पत्तों का उपयोग चटनी और चूर्ण बनाने में भी किया जाता है जिन्हें हम चावल, डोसा और इडली इत्यादि के साथ प्रयोग करते हैं। और पढ़िए
करी पत्ता के लाभ
पाचन विकार के लिए
स्वस्थ बालों के लिए
कोलेस्ट्राॅल नियंत्रण करने के लिए
इमली :-
भूरे रंग की नाज़ुक फली के अंदर जो मांसल खट्टा फल होता है उसमें टारटारिक एसिड और पेक्टिन समाविष्ट है। आमतौर पर महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में क्षेत्रीय व्यंजनों में एक स्वादिष्ट मसाले के रूप में इमली का प्रयोग किया जाता है। खास तौर पर रसम, सांभर, वता कुज़ंबू , पुलियोगरे इत्यादि बनाते वक्त इमली इस्तेमाल होती है और कोई भी भारतीय चाट इमली की चटनी के बिना अधूरी ही है। यहां तक कि इमली के फूलों को भी स्वादिष्ट पकवान बनाने के उपयोग में लिया जाता है। और पढ़िए
इमली के फायदे
पाचन विकार
स्कर्वी
सामान्य सर्दी को दूर करने के लिए
पेचिश
जलने पर
धनिया :-
बारिक छोटे टुकड़ों में कटे हुए धनिया के पत्तों को आपके गरम सूप के कटोरे या अपनी पसंदीदा पावभाजी के ऊपर छिड़कने से बहुत लुभावनी महक आती है और इसमें बहुत अधिक पोषक तत्त्व भी होते हैं। इसके पत्ते, उपजी, बीज और जड़ें, प्रत्येक एक अलग स्वाद प्रदान करते हैं। और पढ़िए
धनिया के फायदे
मुँहासे और काले मस्से
सिरदर्द
अतिसार और एलर्जी
मुंह से दुर्गंध और अल्सर
लहसुन के अनेक गुणों को जानें :-
लहसुन प्याज की जाति की वनस्पति है। इस वनस्पति में एक तीव्र गंध होती है जिसके कारण इसे एक औषधि का दर्जा दिया गया है। दुनियाभर में लहसुन का उपयोग मसाले, चटनी, सॉस, अचार तथा दवाओं के तौर पर किया जाता है। और पढ़िए
लहसुन के फायदे
सांस के विकार, दमा
पाचन विकार
उच्च रक्त चाप
हृदय रोग
कैंसर
त्वचा विकार
दही के अनेक गुणों को जानें C:-
ठंडा और स्वादिष्ट दही किसे पसंद नहीं है? दही किसी भी चीज के साथ खाइए, उसका स्वाद बढ़ता ही है। दही ना ही सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ाती है, बल्की उसे पौष्टिक भी बनाती है। और पढ़िए
दही की 6 विशेषताएँ
पेट भरे रहने का अनुभव होता है
पर्याप्त प्रोटीन से युक्त आहार है
ऊर्जा से भरपूर आहार है
रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाती है
मधुमेह को नियंत्रण में रखती है
पाचन क्रिया में सुधार करती है
खजूर के अनेक गुणों को जानें
खजूर का पेड़ 30-40 फीट तक बढ़ता है। इसका तना शाखाविहीन, कठोर, गोलाकार और खुरदरा होता है। इसकी उपज रेगिस्तान में, कम पानी और गर्म मौसम की जगह में होती है। नारियल के समान इसके पेड़ के ऊपरी भाग में पत्तों के नीचे खजूर लगते हैं। और पढ़िए
खजूर की 6 विशेषताएँ
खून की कमी
गठिया
महिलाओं का पैरदर्द, कमर दर्द
कब्ज
पाचन विकार
आंतव्रण, अम्लपित्त
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